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On life…and learning

बीता साल…

with one comment

बीता साल कई सालों तक सालता रहेगा… कुछ न कर पाने की टीस हमेशा मन में रहेगी। ये सिर्फ दिल वालो की दिल्ली की सड़कों की बे-दिली ही नहीं, अपने खुद के पुरुष होने की शर्म का अहसास भी दिलाता रहेगा…

मैं उसे कई नामों से जानता हूँ – वो माँ है, बीवी, बेटी, बहन और मित्र भी; हमेशा इन्ही नामों से जानना भी चाहता हूँ। लेकिन 2012 सिर्फ उसे ‘निर्भया’ के नाम से जानेगा, ये त्रासदी हमेशा सच रहेगी।

और सच रहेगा इस त्रासदी के साथ उमड़ा जन-आक्रोश भी… जो कि उम्मीद है इस बार सिर्फ हल्ला बोल के, क्रोध दिखा कर, आंसू बहा के ही शांत नहीं हो जायेगा। वो सिर्फ दूसरों में कमी दिखा कर अपनी तसल्ली नहीं करेगा, और सिर्फ सरकार और तंत्र की नपुंसकता की दुहाई नहीं देगा।

उम्मीद यह है कि इस बार वो युवा असल बदलाव की ओर बढेगा – खुद। वो बदलाव अपने खुद के अन्दर लाएगा, सर्वप्रथम। वो दिन प्रतिदिन स्वयं उस परिवर्तन का अंश बनेगा, जो दूसरों में चाहता है। उस बदलाव की बानगी बनेगा, जो दूसरों से मांगता है…

नया साल शुभ हो, इस उम्मीद के साथ कि हम नए साल में उस युवा की तरह बनेंगे, जिसकी परिकल्पना स्वयं शहीद सरदार भगत सिंह ने कुछ यों की थी …

“16 से 25 वर्ष तक हाड़-चर्म के इस संदूक में विधाता संसार भर के हाहाकारों को समेट कर भर देता है… 
युवावस्था में मनुष्य के लिए दो ही मार्ग हैं – 
वह चढ़ सकता है उन्नति के सर्वोच्च शिखर पर; 
वह गिर सकता है अध:पतन के अँधेरे खन्दक में। 
चाहे तो त्यागी बन सकता है युवक, चाहे तो विलासी; 
वह देवता बन सकता है तो पिशाच भी…”

Written by RRGwrites

January 1, 2013 at 1:00 PM

One Response

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  1. Super Like……….!!

    Shashikant Singh

    January 1, 2013 at 4:25 PM


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